Mats University रायपुर में 15 अक्टूबर 2025 को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुप्रयोग” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा—जैसे योग, आयुर्वेद, दर्शन, संगीत, तथा शिक्षा प्रणाली में गुरु-शिष्य परंपरा—को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की संभावनाओं पर विचार करना रहा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, माननीय कुलपति प्रो. के. पी. यादव, निदेशक महोदय श्री प्रीयेश पगारिया तथा श्री गोकुलानंद पांडा की गरिमामयी उपस्थिति एवं आशीर्वचन से कार्यक्रम को विशेष दिशा मिली। सभी गणमान्य अतिथियों ने भारतीय ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना की आवश्यकता पर बल देते हुए, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत इसके समावेशन की संभावनाओं की सराहना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉमर्स एवं मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश गुप्ता ने की, जिनके नेतृत्व में इस संगोष्ठी का सफल संचालन हुआ।मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. टॉपलाल वर्मा एवं डॉ. व्यास दुबे ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए भारतीय शैक्षिक धरोहर की समकालीन प्रासंगिकता पर विस्तृत रूप से विचार रखे। दोनों ही विद्वानों ने यह स्पष्ट किया कि योग, आयुर्वेद, भारतीय दर्शन और संगीत न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं,
बल्कि ये आज की वैश्विक शिक्षा प्रणाली को भी एक सुदृढ़ वैचारिक आधार प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि नई शिक्षा नीति में इन तत्वों के प्रभावी क्रियान्वयन की नितांत आवश्यकता है।संगोष्ठी में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की सक्रिय और विचारशील भागीदारी ने कार्यक्रम को अत्यंत विचारोत्तेजक और उद्देश्यपूर्ण बना दिया। विभिन्न सत्रों में हुए संवाद ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य की शिक्षा का आधार भी बन सकती है।