Save Hasdev : आंका अडानी को लाभ पहुंचाने रचा जा रहा षड़यंत्र, जंगलों का विनाश मानव सभ्यता का विनाश, आदिवासी संस्कृति का विनाश…
महेन्द्र कुमार साहू/ Save Hasdev : छत्तीसगढ़ के जंगलों में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन भरे पड़े हैं। जो प्रदेश को समृद्ध बनाता है। इसको सहेजकर वर्तमान पीढ़ी और भविष्य को संवारा जा सकता है। आज ऐसा कोई नहीं जो वनों के महत्व को स्वीकार नहीं करता। बावजूद प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है। देश के चंद उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने सीधा-सीधा षड़यंत्र है।
दुनियाभर के प्रकृति प्रेमी छत्तीसगढ़ के अरण्य में हो रही बेतरतीब कटाई का विरोध कर रहे हैं। और अलग-अलग माध्यमों से आवाज बुलंद कर रहे हैं। बावजूद सरकार के कान में जू नहीं रेंग रही है। तभी विपक्ष सहित सभी सामाजिक संगठनों ने एक स्वर में सरकार से पूछा है। ये रिश्ता क्या कहलाता है।
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Save Hasdev : जंगलों का विनाश मानव सभ्यता का विनाश है। आदिवासी संस्कृति का विनाश है। जो जंगलों की गोद में पला, बढ़ा। जिसे आदिवासी समाज पूजता है। ऐसे अरण्य पर चंद राजनेता राजनीति कर रहे हैं। और अपने आंका अडानी को लाभ पहुंचाने का षड़यंत्र रच रहे हैं। जो इस खेल में शामिल नहीं हैं। वे भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। और तमाशबीन बने देख रहे हैं।
हसदेव समृद्ध वन क्षेत्र है। यहां हसदेव नदी और मिनीमाता बांगो बांध है। जो सुंदरता और हरियाली के बीच चार चांद लगाता है। हसदेव अरण्य में कोयला खनन पूर्ण रूपेण प्रतिबंधित है। आज जिस तेजी से वनों की कटाई की जा रही है। इसका आने वाले समय में क्या असर पड़ेगा है। उससे मनुष्य अनभिज्ञ नहीं है। दिनों-दिन मौसम में आ रहा बदलाव अचानक से कुछ नहीं हुआ है। कोरोना काल के दौरान चंद सांसों के लिए भगते लोगों को शायद अभी भूले भी नहीं होंगे।
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Save Hasdev : विकास की आड़ में प्रकृति का दोहन उतना ही स्वीकार्य है। जितना की वाजिब हो। हसदेव के लाखों पेड़ एक-एक कर कटते जा रहे हैं। और सरकार एक शब्द न बोले तब समझ लें। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा।