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Hasdev Aranya में अडानी को लाभ पहुंचाने की जा रही पेड़ों की कटाई, ध्यान भटकाने सरकार टाइगर रिजर्व का दे रही झांसा 

रायपुरHasdev Aranya : अपने चहेते को लाभ पहुंचाने वनों से आच्छादित प्रदेश छत्तीसगढ़ को उजाड़ने डबल इंजन की सरकार सीधा-सीधा षड़यंत्र रच रही है। तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के दावे खोखेले साबित हो रहे हैं। प्रदेश को पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री मिला है। जिनसे लोगों को काफी उम्मीदें थी। खासकर आदिवासी समाज को जो अब खत्म हो गया है। एक के बाद एक हसदेव अरण्य को उजाड़ने का षड़यंत्र किया जा रहा है।

अब इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने जमकर हमला बोला है। साथ ही उन्होंने कहा है भाजपा नेताओं की कथनी और करनी में काफी अंतर है। सेंट्रल इंडिया का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव अरण्य को जिस बेतरतीब से डबल इंजन की भाजपा सरकार खत्म करने में तुली हुई है, ये किसी से छिपी नहीं है। और इस पर से ध्यान भटकाने अब टाइगर रिजर्व की बात कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। जशपुर, महेंद्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरबा और रायगढ़ जिला हाथी प्रभावित क्षेत्र घोषित हैं। यहां हाथियों का प्राकृतिक रहवास है। जयपुर का बदलखोल अभ्यारण, बलरामपुर का तमोर पिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र इसके अंतर्गत आते हैं।

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Hasdev Aranya : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में अगस्त 2019 में 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से किया गया था। बाद में हसदेव और चरनोई नदियों के कैचमेंट को भी उसमें शामिल कर इसे 3827 वर्ग किलोमीटर करने की सहमति बनाई। हसदेव नदी के केचमेंट एरिया सघन वन अच्छादित है। लेमरू हाथी रिजर्व के बनने से न केवल हरदेव अरण्य बचेंगे। बल्कि हाथियों का उत्पात भी रोका जा सकेगा। जानमाल की सुरक्षा भी होगी, इसके बावजूद डबल इंजन की सरकार केवल अपने पूंजीपति मित्र के मुनाफे के लिए जिद पर अड़ी हुई है और लाखों की संख्या में पेड़ अंधाधुंध कटवाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी तब प्रदेश के हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला क्षेत्र को अति महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्र मानते हुए ‘नो गो एरिया’ घोषित किया गया था, जिसके दायरे के बाहर 10 किलोमीटर तक खनन की गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित थी। 2014 में मोदी की सरकार आने के बाद नो गो एरिया को संकुचित करके माइनिंग की अनुमति दी गई। मोदी के मित्र अडानी को हसदेव अरण्य के जंगलों के भीतर कोयले के खदानों का संचालन करने की अनुमति क्षेत्र के सैकड़ो ग्राम सभाओं की आपत्तियों के बाद भी अनुमति दे दी गई है।

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26 जुलाई 2022 को पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने परसा कोल ब्लॉक सहित 5 खदानों में खनन गतिविधियां बंद करवाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, 2017 में ग्रामसभा की फर्जी एनओसी लगाकर नंदराज पर्वत को अडानी को सौंपे, जिसे निरस्त करने पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा, लेमरू हाथी रिजर्व के अंतर्गत आने वाले 22 खदानों का आबंटन रद्द करने की कार्यवाही पर भी आज तक मोदी सरकार ने अंतिम निर्णय नहीं लिया है, उल्टे जो पूर्व के खदान कोल इंडियन लिमिटेड और एसईसीएल के द्वारा संचालित थे वहां पर भी उत्खनन का काम मोदी के मित्र अडानी को दिया गया है।

Hasdev Aranya : उन्होंने कहा कि भाजपा अभ्यारण बनाने की केवल बात करती है, असल में इनका पूरा फोकस पूंजीपति मित्रों के मुनाफे पर केंद्रित है। 2007 में जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी तब 450 वर्ग किलोमीटर में लेमरू एलिफेंट रिजर्व की अनुमति केंद्र की सरकार से मिल गया था, 2018 तक ये सरकार में रहे, लेकिन तब तक नोटिफिकेशन तक जारी नहीं किया गया। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अगस्त 2019 में राज्य मंत्री परिषद में 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में लेमरू हाथी रिजर्व बनाने की घोषणा की। बाद में उसे बढ़ाकर 3827 पर किलोमीटर किया गया, लेकिन केंद्र सरकार माइनिंग गतिविधियों का बहाना कर अनुमति रोक रखी है। प्रदेश सरकार जुमलेबाजी छोड़कर नंदराज पर्वत, हसदेव अरण्य और लेमरू एलिफेंट रिजर्व के संदर्भ में केंद्र के द्वारा रोके गए प्रस्ताओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

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